टाइप 2 डायबिटीज के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा लिवर रोग में भी सुधार करती है।
यह नवीन जानकारी चीन में हुए एक क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों से मिली है।
नतीजों में डेपाग्लिफ्लोज़िन (Dapagliflozin) उपचार से MASH (Metabolic dysfunction-associated steatohepatitis) में सुधार मिला है।
इस स्वास्थ्य स्थिति में लिवर पर ज्यादा फैट जमा हो जाता है, जिससे सूजन होती है।
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लंबे समय तक स्टीटोहेपेटाइटिस रहने से लिवर फाइब्रोसिस होता है और लिवर खत्म हो जाता है।
प्लेसबो प्राप्त 8% मरीजों की अपेक्षा डेपाग्लिफ्लोज़िन लेने वाले लगभग 23% मरीजों के फैटी लिवर रोग में कमी मिली है।
डेपाग्लिफ्लोज़िन एक सोडियम ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर 2 (SGLT2) अवरोधक (Inhibitor) है।
डायबिटीज की यह दवा पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा को बढ़ाकर ब्लड शुगर कम करती है।
ट्रायल में फैटी लिवर के 154 मरीजों को 48 हफ़्तों तक रोजाना डेपाग्लिफ्लोज़िन की गोलियाँ या प्लेसबो दी गई थी।
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उन मरीजों का नवंबर 2018 से मार्च 2023 के बीच चीन के छह अस्पतालों में इलाज किया गया।
लगभग सभी मरीजों (97%) को फैटी लिवर के कारण लिवर में निशान (Liver scarring) थे। लगभग आधों (45%) को डायबिटीज भी थी।
नतीजों ने 30% प्लेसबो समूह के मुकाबले डेपाग्लिफ्लोज़िन के लगभग 53% रोगियों के फैटी लिवर में सुधार बताया।
दवा से उनके लिवर के निशान पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पाया गया।
लगभग एक चौथाई (23%) मरीजों का फैटी लिवर पूरी तरह से ठीक हुआ, जबकि प्लेसबो रोगियों में यह 8% था।
प्लेसबो के 20% मरीजों की अपेक्षा डेपाग्लिफ्लोज़िन लेने वाले 45% रोगियों के लिवर निशान में भी सुधार हुआ।
विशेषज्ञों ने बताया कि डायबिटीज दवा से मरीजों में कोई महत्वपूर्ण साइड इफेक्ट भी नहीं मिला।
बता दें कि फैटी लिवर रोग दुनिया भर में 5% से अधिक इंसानों और 30% से अधिक डायबिटीज या मोटापे वालों को प्रभावित करता है।
इससे होने वाले निशान लिवर फेलियर या लिवर कैंसर का कारण बन सकते हैं।
डैपाग्लिफ्लोज़िन से MASH और लिवर फाइब्रोसिस रोगियों को स्वास्थ्य लाभ की संभावना जताई गई है।
अधिक जानकारी ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी से मिल सकती है।
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