दुनिया भर के किशोरों की सेहत को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
रिपोर्ट ने वर्ष 2030 तक दुनिया के एक अरब से ज़्यादा किशोरों (10 से 24 वर्षीय) को एचआईवी/एड्स, समय पूर्व गर्भधारण, असुरक्षित यौन संबंध, डिप्रेशन, खराब पोषण जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त बताया है।
यह रिपोर्ट दूसरे लैंसेट कमीशन के 2021 ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ स्टडी के डेटा विश्लेषण पर आधारित है।
अनुमान है कि 2030 के अंत तक,वैश्विक स्तर पर लगभग 46 करोड़ किशोर अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होंगे।
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हैरानी की बात है कि यह संख्या वर्ष 2015 की तुलना में 14.3 करोड़ ज़्यादा बताई गई है।
कमीशन ने तम्बाकू-शराब सेवन में कमी, लेकिन अधिक वजन और मोटापे में आठ गुना वृद्धि की संभावना जताई है।
वैश्विक स्तर पर किशोरों के खराब मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में भी इजाफा बताया गया है।
इसके अतिरिक्त, किशोरों के स्वास्थ्य को युद्ध, जलवायु परिवर्तन और नए डिजिटल बदलाव से भी खतरा होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2100 तक अनुमानित 1 अरब 80 करोड़ किशोर वर्ष 1900 के मुकाबले लगभग 2·8 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म धरती पर रह रहें होंगे।
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नतीजन, धरती पर लगातार और गंभीर हीट वेव, सूखा, समुद्र जल में वृद्धि, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ होंगी।
इस बारे में अधिक जानकारी द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट से मिल सकती है।
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