अंतरराष्ट्रीय मेडिकल रिसर्चर्स की एक टीम ने दिल की ‘वास्तविक आयु’ पता लगाने की नई तकनीक विकसित की है।
उपयोग पश्चात उन्होंने जाना कि खराब लाइफस्टाइल इंसानों के दिल की उम्र बढ़ाने में तेजी ला देती है।
इस बारे में उन्हें एक एमआरआई (MRI) द्वारा कई लोगों के दिल की जांच से पता चला है।
रिसर्चर्स टीम ने उम्मीद जताई है कि तकनीक उपयोग द्वारा लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है।
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नई कार्डियोवैस्कुलर मैग्नेटिक रेजोनेंस (CMR) इमेजिंग तकनीक ने अस्वस्थ लाइफस्टाइल से दिल की आयु में तेजी बताई है।
557 लोगों के MRI स्कैन पर आधारित स्टडी में, 191 स्वस्थ इंसान और 366 हाई बीपी, शुगर या मोटापे के मरीज थे।
नई तकनीक का उपयोग करके टीम ने सभी के दिल के चैंबर का साइज और कार्यक्षमता को मापा।
स्वस्थ दिल की ‘कार्यात्मक आयु’ की गणना करने के बाद उन्होंने इसका स्वस्थ इंसानों के दिल के साथ मिलान किया।
स्वस्थ लोगों के दिल की आयु उनकी जन्मतिथि के आधार पर समान पाई गई, जबकि मरीजों के दिल की ‘कार्यात्मक आयु’ काफी अधिक थी।
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स्टडी में हाई बीपी पीड़ित 50 वर्षीय इंसान का दिल 55 वर्ष वाले की तरह काम करता बताया गया है।
टीम ने कहा कि डायबिटीज या मोटापा पीड़ितों का दिल अक्सर अपेक्षा से अधिक तेजी से बूढ़ा होता है।
यह जानकारी डॉक्टरों के लिए हृदय रोग रोकने में समय रहते उचित कदम उठाने में मदद कर सकती है।
इससे घातक होने से पहले ही दिल के रोगों की रोकथाम कर लाखों लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
स्वस्थ दिल के लिए लोगों को पौष्टिक भोजन, अधिक एक्सरसाइज और डॉक्टरी सलाह का पालन करना चाहिए।
बता दें कि हृदय-संबंधी रोग (CVD) विश्व स्तर पर इंसानों की मौत का प्रमुख कारण है।
एक अनुमान के मुताबिक, इनसे प्रतिवर्ष 179 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
नतीजों के अनुसार, नई MRI तकनीक डॉक्टरों को दिल के अंदर देखने और शुरूआती रोग लक्षणों में समर्थ कर सकती है।
इस बारे में अधिक जानकारी यूरोपियन हार्ट जर्नल ओपन में प्रकाशित स्टडी से मिल सकती है।
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