बांझपन (Infertility) से पीड़ित महिलाओं को ढलती उम्र में स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी दिल संबंधी समस्याएँ हो सकती है।
यहां तक कि कम उम्र और प्रजनन उपचार (Fertility treatments) करवाने वाली महिलाओं में भी इसका जोखिम अधिक होता है।
इस बारे में यूरोपीय सोसायटी ऑफ पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी और यूरोपीय सोसायटी ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी के सम्मलेन में बताया गया है।
नतीजों ने किसी महिला के हृदय स्वास्थ्य का आकलन करते समय उसके प्रजनन इतिहास पर विचार करने की आवश्यकता कही है।
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अनुमान है कि दुनिया भर में प्रजनन आयु की लगभग हर छह महिलओं में से एक को जीवन में बांझपन की समस्या होती है।
बांझपन के उपचार में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) और अन्य प्रकार की प्रजनन तकनीक (ART) प्रसिद्ध है।
वर्तमान स्टडी में ग्रीक के वैज्ञानिकों ने उपरोक्त समस्या पर हुई पिछली 21 स्टडीज के नतीजों की जाँच की थी।
उनमें बांझपन पीड़ित 178,828 महिलाएं और प्रजनन संबंधी समस्याओं से रहित 3,398,781 महिलाएं शामिल थीं।
वैज्ञानिक टीम ने बांझपन पीड़ित महिलाओं में दिल या ब्लड वेसल्स समस्याओं के पनपने का खतरा 14% अधिक पाया है।
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प्रजनन समस्याओं से रहित महिलाओं की तुलना में उन्हें स्ट्रोक तथा दिल की बीमारियों का जोखिम क्रमश: 16% और 17% अधिक होता है।
इसके अलावा, बांझपन पीड़ित युवतियों खासकर 40 वर्ष से कम में दिल- संबंधी बीमारी का जोखिम 20% बढ़ जाता है।
यह खतरा बांझपन के उपचार में सहायक प्रजनन तकनीक अपनाने वाली महिलाओं में 4% अधिक होता है।
टीम ने बताया कि बांझपन भविष्य में दिल के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की एक प्रारंभिक चेतावनी हो सकता है।
नतीजों के बाद प्रजनन उपचारों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों पर भी ध्यान देने की जरूरत कही गई है।
वैज्ञानिक अब बांझपन के विभिन्न कारणों, प्रजनन तकनीकों और दीर्घकालिक दिल संबंधी परिणामों के बीच संबंध जांचने की योजना बना रहे हैं।
इन संबंधों के पीछे छिपे जैविक तंत्र स्पष्ट होने से प्रभावित महिलाओं की जल्द पहचान करना आसान होगा।
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