अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने डायबिटीज और कैंसर में एक समानता की पहचान की है।
उनकी स्टडी में प्रोटीन PPARγ प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को भी प्रभावित करता मिला है।
इंसुलिन सेंसिटिविटी सुधारने के कारण PPARγ को टाइप 2 डायबिटीज की कुछ दवाओं द्वारा लक्षित किया जाता है।
टीम के मुताबिक, ऐसी दवाएं प्रोस्टेट कैंसर इलाज में एक आशाजनक रणनीति हो सकती हैं।
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PPARγ (peroxisome proliferator-activated receptor gamma) एक जीन उत्प्रेरक के रूप में फैट, ग्लूकोज, इंफ्लेमेशन और कोशिका वृद्धि में अहम भूमिका निभाता है।
टीम की जांच में इस प्रोटीन को प्रोस्टेट कैंसर की वृद्धि से भी जुड़ा हुआ पाया गया है।
इस बारे में उन्हें कुछ डायबिटीज रोगियों के स्वास्थ्य और दवाओं की जांच से पता चला है।
उन्होंने विश्लेषण किया कि इस प्रोटीन की विभिन्न अवस्थाएँ कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करती हैं।
स्टडी में डायबिटीज की दवा pioglitazone को PPARγ की गतिविधियां प्रभावित करते पाया गया है।
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इससे ट्यूमर कोशिकाओं के विकास और उनकी वृद्धि से जुड़ी स्थितियों में अड़चने जानी गई है।
इसके अलावा, PPARγ एगोनिस्ट से उपचारित डायबिटीज के प्रोस्टेट कैंसर रोगियों को दोबारा कैंसर नहीं हुआ था।
यह माना गया कि PPARγ को लक्षित करने वाली दवाओं से प्रोस्टेट कैंसर का उपचार हो सकता है।
बता दें कि प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर के पुरुषों को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है।
वर्तमान में सर्जरी और रेडियोथेरेपी से लेकर दवा तक इसके उपलब्ध उपचार में शामिल हैं।
ट्यूमर वृद्धि रोकने वाले नए उपचारों की खोज में PPARγ भी एक आशाजनक विकल्प हो सकता है।
फिलहाल इस बारे में आगे बड़े अध्ययनों द्वारा गहन जांच की आवश्यकता कही गई है।
मॉलिक्यूलर कैंसर में प्रकाशित स्टडी में यूके, स्वीडन, ऑस्ट्रिया, जर्मनी आदि के वैज्ञानिक शामिल थे।
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