लॉन्ग कोविड (Long COVID) रोगियों के दिल और फेफड़ों में एक साल तक लगातार सूजन रह सकती है।
यह जानकारी दी है न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई स्थित इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने।
उनके मुताबिक, ऐसा SARS-CoV-2 संक्रमितों के मेडिकल टेस्ट नार्मल होने के बावजूद संभव है।
यह स्थिति भविष्य में दिल और फेफड़ों संबंधित समस्याओं का अधिक खतरा पैदा कर सकती है।
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इस बारे में वैज्ञानिक टीम ने जर्नल ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन में विस्तृत जानकारी दी है।
जानकारी से जुड़ी स्टडी में लॉन्ग कोविड रोगियों की जांच के लिए PET/MRI इमेजिंग का उपयोग किया गया था।
यह उन्नत तकनीक डॉक्टरों को शरीर के अंदर की सटीक जानकारी देने में माहिर है।
लगभग 100 COVID-19 रोगियों की जांच में, हार्ट फेलियर, खराब वाल्व और फेफड़ों में हाई बीपी जैसी बीमारियों के शुरुआती संकेत मिले।
उनमें से अधिकांश रोगियों में पहले से दिल की किसी बीमारी का इतिहास नहीं था।
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PET/MRI स्कैन किए गए रोगियों में से 52 के दिल में रोगजनक सूजन के सबूत मिले।
PET/MRI स्कैन में कई रोगियों के दिल की मांसपेशियों में असामान्यताएं भी पाई गईं।
सभी असामान्यताएं सीने में दर्द, थकान और सांस की तकलीफ जैसे लक्षणों से जुड़ी थीं।
इसके अलावा, उनके प्लाज्मा प्रोटीन विश्लेषण में सूजन और कमजोर इम्युनिटी के लक्षण भी देखे गए।
सटीक परिणामों के लिए टीम ने पूर्व COVID-19 संक्रमित नौ इंसानों की भी जाँच की थी।
लेकिन उनमें लंबे समय तक चलने वाले कोई कार्डियोपल्मोनरी लक्षण नहीं पाए गए।
नौ COVID-19 संक्रमित इंसानों का भी समान PET/MRI स्कैन और ब्लड टेस्ट हुआ था।
लेकिन टीम को उनमें लॉन्ग कोविड रोगियों में देखे गए सूजन संबंधी परिवर्तन नहीं दिखाई दिए।
नए नतीजों ने डॉक्टरों को लॉन्ग कोविड मरीजों में लगातार बने रहने वाले लक्षणों की गहन जांच की सलाह दी।