एक नई स्टडी ने बच्चों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण (Air Pollution) के गंभीर दुष्प्रभाव पाए है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की स्टडी ने बचपन के वायु प्रदूषण से किशोरावस्था में खराब स्वास्थ्य की संभावना जताई है।
देखा गया कि कम दूषित हवा में रहने वाले साथियों की अपेक्षा शुरुआती वर्षों में यूके के प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले किशोरों का 17 वर्ष की आयु तक स्वास्थ्य खराब था।
खासकर प्रदूषित क्षेत्रों में बचपन गुजारने वाले गरीब बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर वायु प्रदूषण से ज्यादा खतरा था।
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स्टडी के लिए यूनिवर्सिटी विशेषज्ञों ने 2000 से 2002 में पैदा हुए 9,000 से अधिक किशोरों के डेटा का विश्लेषण किया था।
उनके जन्म से लेकर 17 वर्ष की आयु तक के निवास की जांच से वायु गुणवत्ता के स्तर को मापा गया था।
इसके बाद विशेषज्ञों ने 17 वर्ष की आयु में उन किशोरों के सामान्य स्वास्थ्य की रिपोर्ट की जांच की।
स्टडी में जहरीले पार्टिकुलेट मैटर (PM10), फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5), और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का असर देखा गया।
अधिक वायु प्रदूषण क्षेत्रों में बचपन गुजारने वाले किशोरों को, कम प्रदूषित जगह रहने वाले साथियों की अपेक्षा, खराब स्वास्थ्य का ज्यादा खतरा था।
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स्टडी में पाया गया कि शुरुआती वर्ष बच्चों के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से महतवपूर्ण होते है।
इस समय गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में आने से पूरे जीवन स्वास्थ्य पर गंभीर रोगों का खतरा मंडराता रहता है।
2 से 4 वर्ष की आयु में ही गंभीर वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले बच्चों में 17 वर्ष में खराब स्वास्थ्य का जोखिम 15 से 30% अधिक था।
PM2.5 और PM10 के प्रदूषण से बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर अधिक दुष्प्रभाव जाने गए।
किशोरावस्था में PM2.5 और NO2 प्रदूष्ण के संपर्क में आने वालों की युवावस्था में अस्पताल में भर्ती होने की संख्या अधिक थी।
पिछली स्टडीज ने प्रदूषित क्षेत्रों के बच्चों में सांस की बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापे, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं आदि का ज्यादा खतरा बताया है।
नई स्टडी ने गंभीर वायु प्रदुषण में रहने से बच्चों को बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य -संबंधी दिक्कतों का अधिक खतरा बताया है।
यह स्टडी साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई थी।
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