एक नई स्टडी ने सोशल नेटवर्क और वृदावस्था में स्वास्थ्य के बीच शक्तिशाली संबंध बताया है।
यूएस स्टडी में बुजुर्गों के स्वास्थ्य सुधार में उनके सामाजिक मेलजोल को अत्यंत महत्वपूर्ण कहा गया है।
स्टडी विशेषज्ञों ने विशाल डेटा उपयोग द्वारा एक दशक तक 1,500 से अधिक बुजुर्गों पर नजर रखी थी।
इस दौरान, उन्होंने जाना कि उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों के सामाजिक जीवन में क्या बदलाव हुए।
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पता चला कि विविध, सक्रिय लोगों से जुड़े बड़े सोशल नेटवर्क वाले बुजुर्गों का स्वास्थ्य बेहतर था।
जबकि केवल पारिवारिक सदस्यों तक सीमित और अलग-थलग रहने वालों का स्वास्थ्य काफी खराब था।
स्टडी ने बढ़ती उम्र में सामाजिक अलगाव तथा अकेलेपन से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य चौपट बताया।
विशेषज्ञों के मुताबिक, खराब स्वास्थ्य, प्रियजनों की मौत, गरीबी, भेदभाव, भाषा संबंधी बाधाओं, ग्रामीण या असुरक्षित इलाकों में रहने के कारण बुजुर्गों का सामाजिक दायरा सिकुड़ सकता है।
लेकिन एक्टिव लोगों के संपर्क और सार्थक बातचीत से बुजुर्गों में अकेलेपन की भावना कम हो सकती है।
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पति, पत्नी या करीबी दोस्त खोने से इंसान के सामाजिक दायरे में तेजी से कमी आना संभव है।
इसी तरह, उच्च अपराध वाले समुदाय में रहना, कम गतिविधियों वाला ग्रामीण क्षेत्र, सीमित परिवहन या विकलांगता से भी सामाजिक जीवन में गिरावट आ सकती है।
कई कमियों के बावजूद बुजुर्ग सही अवसर और समर्थन मिलने पर मजबूत, अधिक समृद्ध संबंध बना सकते हैं।
नतीजों ने बताया कि विशेष रूप से उम्र बढ़ने के साथ सोशल नेटवर्क से जुड़ाव महत्वपूर्ण हो जाता है।
बढ़ती उम्र में अकेलेपन का बोध दिमागी और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है।
समृद्ध सामाजिक जीवन के बिना हमारे अंतिम वर्ष बहुत समस्याग्रस्त हो सकते है।
यह स्टडी इनोवेशन इन एजिंग में प्रकाशित हुई थी।
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