एक नई स्टडी ने ब्लड शुगर कंट्रोल करने में पूर्ण शाकाहार (Vegan diet) को कम असरदार पाया है।
स्टडी में केवल पूर्ण शाकाहार की बजाए डेयरी प्रोडक्ट्स भी खाने से ब्लड शुगर लेवल में बेहतर सुधार मिला है।
नतीजों में वैज्ञानिकों ने शाकाहार सहित दूध, दही, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स भी लेने की सलाह दी है।
यूके और भारत के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों की इस साझा स्टडी में 30 लोग शामिल थे।
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उन्होंने शाकाहार या शाकाहार के साथ डेयरी प्रोडक्ट्स का भी सेवन किया था।
नतीजों में डेयरी प्रोडक्ट्स और शाकाहार लेने वालों में केवल शाकाहारी लोगों की अपेक्षा ब्लड शुगर कम था।
इसका कारण शाकाहारी लोगों में भोजन के बाद फेनिलएलनिन (Phenylalanine) अमीनो एसिड की अधिकता बताई गई।
Phenylalanine की अधिकता में शरीर ग्लूकोज का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है।
दूसरी ओर, डेयरी प्रोडक्ट्स खाने वाले के खून में ग्लूकोज पचाने में सहायक पदार्थ होते हैं।
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शायद इस कारण स्टडी में डेयरी प्रोडक्ट्स वालों का ब्लड शुगर लेवल पूरे दिन अधिक स्थिर रहा।
स्टडी उपरांत वैज्ञानिक टीम ने नए नतीजों को खासकर भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण माना है।
गौरतलब है कि डायबिटीज रोगियों की संख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है।
देश में लगभग 10 करोड़ लोगों को टाइप 2 डायबिटीज, जबकि 13.6 करोड़ को प्रीडायबिटीज है।
इसलिए ब्लड शुगर कंट्रोल में सहायक आहार खोजने से समस्या घटाने में मदद मिल सकती है।
14 दिनों की स्टडी में शामिल लोगों की आहार कैलोरी, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट समान थे।
केवल अंतर यह था कि एक आहार में दूध, दही और पनीर (लगभग 558 ग्राम प्रतिदिन) शामिल थे।
जबकि दूसरे में सोया दूध और टोफू जैसे पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया था।
ब्लड टेस्ट से पता चला कि डेयरी समूह में एसिटाइल कार्निटाइन (Acetyl carnitine) लेवल अधिक था।
यह अमीनो एसिड कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए फैट उपयोग करने में मदद और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
इस सुरक्षात्मक प्रभाव से ही डेयरी समूह ने कम और अधिक स्थिर ब्लड शुगर लेवल बनाए रखा।
दूसरी ओर, केवल शाकाहारी समूह में फेनिलएलनिन का स्तर बढ़ा हुआ था।
यह अमीनो एसिड ब्लड शुगर अधिक होने पर उससे सुधारने वाले तरीके में बाधा डाल सकता है।
नतीजों के आधार पर माना गया कि डेयरी प्रोडक्ट्स का नियमित सेवन टाइप 2 डायबिटीज घटा सकता है।
रीडिंग यूनिवर्सिटी और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की यह स्टडी Clinical Nutrition जर्नल में छपी थी।
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