एक नई स्टडी ने खान-पान से पार्किंसंस (Parkinson’s) रोग के विकास को प्रभावित बताया है।
पता चला है कि मीठे ड्रिंक्स और पैकेटबंद स्नैक्स जैसे प्रोसेस्ड फ़ूड अत्यधिक खाने से पार्किंसंस रोग के लक्षण जल्दी दिखने लगते है।
नतीजों के मुताबिक, बाजार के अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड (Ultra-processed foods) खाने वालों में पार्किंसंस के शुरुआती लक्षण दिखने की संभावना, ऐसे आइटम कम खाने वालों के मुकाबले ज्यादा थी।
मगर स्टडी से यह साबित नहीं हुआ कि अधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से पार्किंसंस रोग होता है।
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पार्किंसंस रोग मूवमेंट डिसऑर्डर के रूप में प्रकट होने वाली एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है।
इसके विशिष्ट लक्षण, जैसे कंपन, संतुलन की समस्या और धीमी गति, कई सालों पहले शुरू होते हैं।
यह देखने के लिए स्टडी टीम ने बिना पार्किंसंस रोग वाले 42,853 लोगों की जांच शुरू की।
48 वर्ष की औसत आयु वाले उन पुरुषों और महिलाओं पर 26 साल तक नजर रखी गई।
सभी ने हर दो-चार साल में अपने खाने-पीने और कितनी बार खाया, इसकी जानकारी दी।
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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड आइटम में सॉस, स्प्रेड, स्नैक्स, स्वीट ड्रिंक्स, नमकीन स्नैक्स, पैकेज्ड मिठाइयाँ आदि शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने गणना की कि उन लोगों ने प्रतिदिन औसतन कितने अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ खाए।
लंबे समय तक प्रतिदिन 11 या अधिक बार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने वालों में पार्किंसंस रोग के तीन या अधिक शुरुआती लक्षण दिखने की संभावना ढाई गुना अधिक थी।
उनके मुकाबले रोजाना तीन से कम बार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने वालों में यह संभावना नहीं देखी गई।
अधिक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से कब्ज, खराब नींद, शरीर में दर्द और डिप्रेशन के लक्षण भी जाने गए।
स्टडी टीम ने न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों से बचने के लिए स्वस्थ आहार खाना अति आवश्यक बताया है।
उन्होंने कहा कि हमारा खान-पान हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
कम अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड और अधिक पौष्टिक खाने का चुनाव दिमागी स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक है।
अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की यह स्टडी न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
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