कैंसर उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएँ इंसानों को लंबा जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
यह संभावना जर्मनी के वैज्ञानिकों ने चूहों पर हुए एक सफल परीक्षण के बाद जताई है।
उन्हें रैपामाइसिन (rapamycin) और ट्रैमेटिनिब (trametinib) दवाओं से उपचारित चूहों के जीवनकाल में 30% तक वृद्धि मिली है।
हालांकि, यह चमत्कार अकेली के मुकाबले दोनों दवाओं के मेल से ही संभव कहा गया है।
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बता दें कि रैपामाइसिन और ट्रैमेटिनिब रोगजनक सूजन घटाती है और कैंसर विकास धीमा करती है।
दोनों दवाएं अन्य दवाओं की तुलना में जीन (Gene) को बिना किसी अतिरिक्त दुष्प्रभाव के अलग तरह से प्रभावित करती है।
चूहों के जीवनकाल में ट्रैमेटिनिब से 5-10%, जबकि रैपामाइसिन से 15-20% तक वृद्धि की सूचना है।
दोनों दवाओं के मेल से चूहों के जीवन में लगभग 30% की बढ़ोतरी बताई गई है।
यही नहीं, मेल से हुए उपचार ने चूहों के स्वास्थ्य पर बुढ़ापे में भी सकारात्मक प्रभाव डाला है।
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कैंसर थेरेपी में इस्तेमाल की जाने वाली दोनों दवाएँ उम्र बढ़ने में मुख्य भूमिका निभाने वाले जीन को प्रभावित कर जीवनकाल बढ़ाती हैं।
इससे पहले मक्खियों पर हुई रिसर्च में भी दोनों दवाओं से जीन पर पड़े सकारात्मक असर की पुष्टि हो चुकी है।
विभिन्न ऊतकों के जीन विश्लेषण से पता चला है कि दवाओं का मेल जीन गतिविधि पर महत्वपूर्ण असर डालता है।
जबकि दोनों दवाओं को अलग-अलग देने पर से ऐसा नहीं देखा गया है।
अभी वैज्ञानिकों को चूहों में पाए गए परिवर्तन इंसानों में समान रूप से दिखने की उम्मीद नहीं है।
लेकिन संभव है कि ये दवाएं लोगों को बुढ़ापे तक स्वस्थ और रोग-मुक्त रहने में मदद कर सकती हैं।
फिलहाल भविष्य के परीक्षणों से ही स्पष्ट होगा कि इन दवाओं से किन्हें और कैसे स्वास्थ्य लाभ हो सकते है।
इस बारे में गहन जानकारी नेचर एजिंग जर्नल में प्रकाशित लेख से मिल सकती है।
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