सालों से हमें बताया जाता रहा है कि चीनी (Sugar) खाने से टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes) होती है।
लेकिन यूएस और जर्मनी के हेल्थ रिसर्चर्स ने कहा है कि सभी तरह की चीनी से डायबिटीज नहीं होती है।
इस बारे में उन्हें कई महाद्वीपों के आधे मिलियन से ज़्यादा लोगों के डेटा विश्लेषण से पता चला है।
उन्होंने बाजार के स्वीट ड्रिंक्स और फ्रूट जूस की चीनी के लगातार सेवन से टाइप 2 डायबिटीज होने का अधिक खतरा पाया।
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लेकिन, चीनी के अन्य स्रोतों से ऐसा कोई खतरा नहीं दिखा। उल्टा, कुछ मामलों में वे कम जोखिम से जुड़े थे।
यह देखते हुए रिसर्चर्स ने स्वास्थ्य के लिए ‘चीनी पीने’ को ‘खाने’ से ज़्यादा हानिकारक बताया है।
उन्होंने रोजाना कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स और फ्रूट जूस की प्रत्येक अतिरिक्त 12-औंस (लगभग 0.355 लीटर) डोज से डायबिटीज के जोखिम में 25% वृद्धि बताई।
प्रतिदिन डिब्बाबंद फ्रूट जूस की प्रत्येक अतिरिक्त 8-औंस (लगभग 237 मिलीलीटर) से डायबिटीज के जोखिम में 5% बढ़ोतरी मिली।
उनके मुकाबले घरेलू चीनी, फलों या अन्य चीनी स्त्रोतों के 20 ग्राम/दिन के सेवन से डायबिटीज खतरा नहीं था।
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चीनी खाने की तुलना में चीनी पीना अधिक समस्याग्रस्त क्यों था, इसके पीछे अलग-अलग प्रभाव पाए गए।
साबुत की अपेक्षा घुली हुई चीनी तेजी से खून में मिलती है, जिससे लिवर और इंसुलिन पर बुरा असर पड़ता है।
फलों, डेयरी प्रोडक्ट्स या साबुत अनाज से प्राप्त चीनी खून में तेजी से नहीं घुलती, जिससे लिवर पर भार नहीं पड़ता है।
ऐसी चीनी में फाइबर, फैट, प्रोटीन और अन्य लाभकारी पोषक तत्वों होने के कारण ब्लड शुगर में उछाल नहीं आता है।
विशेषज्ञों ने जूस की बजाए पूरा फल खाने पर ज़ोर दिया, ताकि ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए अधिक फाइबर मिल सके।
बाजार में उपलब्ध स्वीट ड्रिंक्स और फ्रूट जूस से न केवल डायबिटीज बल्कि अन्य रोगों का भी खतरा हो सकता है।
इस बारे में अधिक जानकारी अ Advances in Nutrition.जर्नल में प्रकाशित स्टडी से मिल सकती है।
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