मोटापे (Obesity) से डायबिटीज और दिल के रोग होते है, लेकिन क्या इससे दिमाग को भी नुकसान होता है?
इस बारे में जांच करते हुए यूएस स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने नवीन जानकारी पेश की है।
चूहों पर हुई उनकी स्टडी ने मोटापे से चिंता बढ़ने और दिमागी स्वास्थ्य में कमी बताई है।
उन्होंने खान-पान से हुए मोटापे को दिमागी संकेतों और आंत माइक्रोबायोम में परिवर्तन से जुड़ा पाया है।
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इन परिवर्तनों से ही चिंता और मानसिक कामकाज में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है।
नतीजों की मानें तो मोटापे से चिंता जैसा व्यवहार उपजता है, जो मानसिक कार्यों और आंत स्वास्थ्य में परिवर्तन से संभव है।
स्टडी में हाई फैट डाइट से मोटे हुए चूहों के दिमाग में पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाले संकेत दुबलों से अलग पाए गए।
इस वजह से ही मोटे चूहों के मानसिक कामकाज में दुबले चूहों की अपेक्षा अधिक गिरावट जानी गई।
इसके अलावा, मोटे चूहों की तुलना में दुबले चूहों के आंत बैक्टीरिया की बनावट में भी स्पष्ट अंतर था।
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स्टडी नतीजे व्यवहार को विनियमित करने में आंत माइक्रोबायोम की भूमिका के बढ़ते साक्ष्य से जुड़े मिले है।
विशेषज्ञों ने कहा कि इनसे मानसिक स्वास्थ्य पर मोटापे के संभावित प्रभाव उजागर होते है, खासकर चिंता के संदर्भ में।
आहार, दिमागी स्वास्थ्य और आंत माइक्रोबायोटा के बीच संबंधों को समझकर बच्चों और किशोरों में मोटापे की रोकथाम हो सकती है।
अधिक जानकारी, अमेरिकन सोसाइटी फॉर न्यूट्रिशन की सालाना बैठक में प्रस्तुत स्टडी से मिल सकती है।
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