एक नई स्टडी ने डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy products) का सेवन महिलाओं के लिए आवश्यक बताया है।
दूध, दही और छाछ के सेवन से वृद्ध महिलाओं में फ्रैक्चर और ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का खतरा कम मिला है।
हालांकि, पनीर खाने से उन्हें सिर्फ कूल्हे के फ्रैक्चर के खतरे में सुरक्षा मिलती दिखी है।
गौरतलब है कि दुनिया भर के बुजुर्गों में फ्रैक्चर का खतरा प्रमुख स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
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पिछले 30 वर्षों में बढ़ती उम्र के कारण फ्रैक्चर की वैश्विक दर में 33% से अधिक वृद्धि हुई है।
25 साल तक चली वर्तमान स्टडी में फ़िनलैंड की 14,220 उम्रदराज महिलाएं शामिल थी।
उन्होंने हर पाँच साल में एक सर्वे द्वारा अपनी सेहत, आदतों, डेयरी प्रोडक्ट्स और फ्रैक्चर की जानकारी दी।
मध्यम या उच्च मात्रा में दूध, दही और छाछ का सेवन करने वाली महिलाओं को किसी भी फ्रैक्चर का जोखिम क्रमशः 23% और 26% कम था।
डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं लेने वाली महिलाओं की अपेक्षा उन्हें मध्यम या ज्यादा मिल्क प्रोडक्ट्स लेने से ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर का खतरा क्रमशः 31% और 36% कम था।
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दूध, दही और छाछ जैसी तरल डेयरी का अधिक सेवन हिप फ्रैक्चर के मुकाबले ऑस्टियोपोरोटिक और अन्य फ्रैक्चर के कम जोखिम से जुड़ा था।
इसके विपरीत, पनीर के सेवन से कुल फ्रैक्चर जोखिम के बजाए हिप फ्रैक्चर में ज्यादा कमी पाई गई।
कुल मिलाकर माना गया कि लंबे समय तक तरल डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन फ्रैक्चर खतरे में कमी ला सकता है।
डेयरी प्रोडक्ट्स में बायोएक्टिव यौगिक, प्रोटीन और कैल्शियम जैसे हड्डियों को मजबूती देने वाले पोषक तत्व होते हैं।
इन तत्वों से भरपूर मिल्क प्रोडक्ट्स के सेवन से बुजुर्गों में फ्रैक्चर होने का खतरा कम किया जा सकता है।
यह स्टडी यूरोपीय जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुई थी।
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