साल 2025 में भारत की जनसंख्या 1.46 बिलियन तक पहुँच जाएगी, जो दुनिया में सबसे अधिक होगी।
हालांकि, देश में प्रजनन दर (Fertility rates) पहले से कम हुई है। इससे आने वाले दशकों में जनसंख्या स्थिर रहेगी।
यह जानकारी मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2025 से मिली है।
1.41 बिलियन की आबादी वाले चीन को भारत के बाद दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश कहा गया है।
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रिपोर्ट का अनुमान है कि गिरावट से पहले भारत की जनसंख्या अगले 40 वर्षों में 1.7 बिलियन तक पहुँच जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की कुल प्रजनन दर घटकर 1.9 जन्म प्रति महिला हुई है, जो प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से नीचे है।
मतलब भारतीय महिलाएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जनसंख्या आकार बनाए रखने के लिए आवश्यक बच्चों की तुलना में कम बच्चे पैदा कर रही हैं।
रिपोर्ट का डेटा वैश्विक आबादी के 37% हिस्से यानी 14 देशों के 14,000 पुरुषों और महिलाओं के ऑनलाइन सर्वे द्वारा भी एकत्र किया गया था।
सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में पाँच में से एक महिला ने घरेलू दबाव के कारण जरूरत से अधिक बच्चे पैदा किए
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14% उत्तरदाताओं ने कहा कि डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के कारण वे प्रजनन लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाईं।
जबकि 30% महिलाओं ने कहा कि न चाहते हुए भी उन पर गर्भावस्था को बनाए रखने का दबाव था।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय बाधाएं भारत में प्रजनन स्वतंत्रता के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं।
इस कारण भारत में लगभग 38% स्त्री-पुरुष मनचाहा परिवार नहीं बना पा रहे हैं।
नौकरी की असुरक्षा, आवासीय और बाल देखभाल की कमी से भी प्रजनन दर में गिरावट आई है।
रिपोर्ट में प्रस्तुत जनसांख्यिकीय विवरण से पता चला है कि भारत की आबादी अपेक्षाकृत युवा है।
इसमें एक चौथाई से अधिक 10 से 24 वर्ष के हैं और केवल 7% आबादी ही 64 वर्ष से अधिक आयु की है।
रिपोर्ट में भारत को एक मध्यम-आय वाला देश कहा गया है, जिसकी जनसंख्या दोगुनी होने का समय 79 वर्ष हो सकता है।
इस बारे में अधिक जानकारी नई रिपोर्ट से मिल सकती है।
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