बचपन के अधिक वजन और मोटापे से जवानी में फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।
यह चौंकाने वाली जानकारी डेनमार्क के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक नई स्टडी ने दी है।
उनकी यह स्टडी स्पेन में आयोजित होने वाले यूरोपीय कांग्रेस ऑन ओबेसिटी में प्रस्तुत की जाएगी।
स्टडी के मुताबिक, कम उम्र में अधिक वजन या मोटापे के शिकार बच्चों को जवानी में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का अधिक खतरा होता है।
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COPD पीड़ितों को फेफड़ों में खराबी के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है।
स्टडी में बचपन के मोटापे और बड़े होने पर COPD समस्या के बीच एक खतरनाक संबंध पता चला है।
यह रिसर्च टीम द्वारा साल 1930 से 1982 के बीच पैदा हुए 276,747 डेनिश बच्चों के डेटा विश्लेषण से ज्ञात हुआ था।
उन्होंने नेशनल हेल्थ केयर रजिस्टरों की मदद से साल 1977 से 2022 तक उन बच्चों पर नजर बनाए रखी।
टीम ने 40 वर्ष की आयु के बाद, 18,227 महिलाओं और 15,789 पुरुषों को COPD समस्या से प्रभावित पाया।
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जिन महिलाओं का बचपन में थोड़ा अधिक वजन था, उनमें COPD का खतरा 10% अधिक था।
यह खतरा अधिक वजन और मोटापा ग्रस्त महिलाओं में क्रमश: 26% और 65% ज्यादा था।
जिन पुरुषों का वजन बचपन में थोड़ा बढ़ा हुआ था, उन्हें COPD का जोखिम 7% अधिक था।
बचपन में अधिक वजन और मोटापा पीड़ित पुरुषों को COPD का खतरा क्रमश: 16% और 40% अधिक था।
कुल मिलाकर, बचपन में ज़्यादा बीएमआई होने से बाद के जीवन में COPD का जोखिम बढ़ सकता है।
इसलिए बच्चों में ज़्यादा वज़न या मोटापे की समस्या होने पर तुरंत रोकथाम का प्रयास किया जाना चाहिए।
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