एक नई स्टडी ने डाइटिंग (Dieting) यानी कम कैलोरी वाले आहार से डिप्रेशन लक्षणों में वृद्धि कही है।
कनाडा के विशेषज्ञों की जांच में खासकर पुरुषों और अधिक वजन वालों पर डाइटिंग के अधिक दुष्प्रभाव दिखे है।
अनुमान था कि कैलोरी घटाने से दिमाग को बेहतर मूड रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते हैं।
स्टडी के लिए एक सर्वे में शामिल यूएस के 28,500 से अधिक नागरिकों के स्वास्थ्य पर नज़र रखी गई थी।
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उन सभी से डिप्रेशन लक्षणों के आकलन और डाइट से संबंधित पूछताछ की गई थी।
कुल मिलाकर, डाइटिंग कर रहे लगभग 8% पुरुषों और महिलाओं ने डिप्रेशन लक्षणों की सूचना दी।
पता चला कि सब कुछ खाने वालों की अपेक्षा उन लोगों में डिप्रेशन लक्षणों का स्कोर अधिक था।
कम कैलोरी या पोषक तत्वों की कमी से मोटापा पीड़ितों में डिप्रेशन का अधिक खतरा था।
स्टडी में कहा गया है कि किसी भी तरह की डाइटिंग पुरुषों के मूड को अधिक प्रभावित करती है।
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नतीजे पिछले अध्ययनों के ठीक उलट हैं, जिसमें कम कैलोरी वाले आहार से डिप्रेशन में कमी मिली थी।
टीम ने कहा कि डाइटिंग अक्सर पोषण संबंधी कमियों और तनाव का कारण बनती हैं, जिससे डिप्रेशन लक्षण बढ़ जाते है।
ग्लूकोज और फैटी एसिड (ओमेगा-3) दिमाग के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें कमी से मानसिक कार्यों में गिरावट होती है।
वजन घटाने में विफलता या घटाने के बाद फिर से बढ़ जाने पर भी डाइटिंग करने वाले मायूस हो सकते है।
स्टडी में भले ही डिप्रेशन से जुड़े प्रभाव छोटे थे, लेकिन डाइटिंग से पोषक तत्वों की कमी दिमाग के लिए हानिकारक है।
इस बारे में विस्तार से जानकारी BMJ Nutrition Prevention & Health में छपी स्टडी से मिल सकती है।