यूएस रिसर्चर्स ने बिना ब्लड टेस्ट के ही टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भांपने का दावा किया है।
उनके मुताबिक, जांघ या कंधे की मांसपेशी का अल्ट्रासाउंड डायबिटीज या प्रीडायबिटीज होने से पहले ही इंसुलिन रेजिस्टेंस का पता लगा सकता है।
इस बारे में मिशिगन मेडिसिन के रिसर्चर्स को कुछ रोगियों की मांसपेशियों के अल्ट्रासाउंड से अहम जानकारी मिली है।
उन्होंने बिना डायबिटीज या प्रीडायबिटीज के मोटापा ग्रस्त 20 वयस्कों (65% पुरुष) और 5 स्वस्थ वयस्कों (40% पुरुष) की जांच की थी।
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मांसपेशी इको इंटेंसिटी (MEI) में वृद्धि द्वारा आठ रोगियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस और सात में ‘स्वस्थ इंसुलिन कमी’ मिली।
इको इंटेंसिटी (EI) मांसपेशियों की गुणवत्ता के लिए किया जाने वाला एक अल्ट्रासाउंड है।
कंधे का अल्ट्रासाउंड करने के दौरान टीम को कई रोगियों की मांसपेशियाँ असामान्य रूप से चमकीली दिखाई दी।
टीम को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि उनमें से अधिकांश रोगियों को टाइप 2 डायबिटीज का खतरा था।
हैरानी की बात रही कि कइयों को उनकी डायबिटीज या प्रीडायबिटीज के बारे में ब्लड टेस्ट से ही पता चला।
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स्वस्थ लोगों की अपेक्षा प्रीडायबिटीज या डायबिटीज वालों की मांसपेशियों के अल्ट्रासाउंड चमकीले दिखाई दिए।
ऐसा मांसपेशियों के स्वास्थ्य और कार्यों को प्रभावित करने वाले अत्यधिक फैट जमाव और फाइब्रोसिस से संभव था।
फिलहाल सटीक कारण बताने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता मानी गई है।
टीम को उम्मीद है कि इस पद्धति द्वारा डायबिटीज, प्रीडायबिटीज और खराब इंसुलिन का पूर्वानुमान हो सकता है।
चिकित्सक हाथ में पकड़े जाने वाले अल्ट्रासाउंड उपकरणों द्वारा विभिन्न समस्याओं को जल्दी जान सकते है।
गौरतलब है कि लाखों लोगों को टाइप 2 डायबिटीज या प्रीडायबिटीज का समय रहते पता नहीं चलता है।
जब तक डायबिटीज पकड़ में आती है, तब तक मरीज कई जटिल स्वास्थ्य स्थितियों से घिर चुका होता है।
इस स्टडी के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी जर्नल ऑफ़ अल्ट्रासाउंड इन मेडिसिन से मिल सकती है।
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