फैटी लीवर (Fatty Liver) की बीमारी के मरीजों की मृत्यु दर आम आबादी की तुलना में लगभग दोगुनी होती है।
उन्हें लिवर, कैंसर और दिल की बीमारियों से मरने का खतरा अधिक होता है,
यह ताज़ा जानकारी जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी ने दी है।
फैटी लीवर बीमारी को MASLD (मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टेटोटिक लीवर डिजीज) के नाम से जाना जाता है।
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यह बीमारी अधिक वजन या मोटापे के कारण होती है, जिसमें लीवर पर अत्यधिक फैट जम जाता है।
इससे प्रभावितों के लिवर को गंभीर क्षति सहित लिवर कैंसर भी हो सकता है।
वर्तमान स्टडी के लिए, स्वीडन में वर्ष 2002 से 2020 के बीच MASLD पीड़ित 13,000 से अधिक रोगी पहचाने गए थे।
रिसर्च टीम ने आम आबादी की तुलना में विभिन्न कारणों से उनकी मृत्यु के जोखिम का विश्लेषण किया।
MASLD मरीजों की कई स्वास्थ्य समस्याओं के चलते कुल मृत्यु दर लगभग दोगुनी जानी गई।
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उन्हें विशेष रूप से लिवर रोग और लिवर कैंसर से मौत का खतरा क्रमश: 27 और 35 गुना अधिक था।
हालांकि, मौत के सबसे आम कारण दिल के रोग और नॉन-लिवर कैंसर थे, जिनमें मृत्यु दर क्रमशः 54 और 47 प्रतिशत अधिक थी।
MASLD वालों में मानसिक बीमारी की अपेक्षा इंफेक्शन, पेट, सांस, एंडोक्राइन रोग या अन्य कारणों से मरने का जोखिम भी अधिक था।
टीम ने बताया कि शुरुआती स्टेज के कोई लक्षण न दिखने से इस बीमारी का पता नहीं चलता है।
बचाव के लिए रोग का जल्द पता लगना और लाइफस्टाइल बदलाव महत्वपूर्ण हो सकते है।
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